वैकल्पिक विषय का चयन

एक इच्छा कुछ नीति नहीं बदलती, एक
निर्णय कुछ बदलता है, लेकिन एक निश्चय, सबकुछ बदल देता है।।

कुछ ऐसी ही स्थिति सिविल सेवा के अभ्यर्थियों की भी होती है। लाखों-करोड़ों युवा सिविल सेवकों की शानो-शौकत तथा मान-सम्मान को देखकर सिविल सेवक बनने की इच्छा सृजित करते हैं। परन्तु सफलता की कांटोभरी डगर अथवा व्यक्तिगत समस्याओं के चलते अपनी इच्छा को निर्णय में नहीं बदल पाते। इसके बाद वो लोग आते हैं जो अपनी इच्छा को निर्णय में बदलते तथा स्व-अध्ययन अथवा किसी संस्थान के माध्यम से अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते हैं, परन्तु ये लाखों अभ्यर्थी अभी तक एक भीड़ ही होते हैं, क्योंकि इनके निर्णय में निश्चय का आभाव होता है। और जिस प्रतियोगी ने अपने निर्णय को निश्चय में बदल लिया, फिर उसके लिए निश्चित समझो की वह लक्ष्य भी प्राप्त कर लेगा। परन्तु निश्चय की स्थिति को प्राप्त करना एक विकट समस्या है, हम कोशिश तो बहुत करते हैं, परन्तु शंकायें बनी रहती है और यही शंकायें असफलता का कारण बनती हैं। यह अनश्चिय की स्थिति दो बार बनती है पहली तो तब, जब आप सिविल सेवा की इच्छा जाहिर करते हैं इस समय आप सोचते हैं कि प्रशसनिक सेवाओं की तैयारी की जाये अथवा पहले कोई आजीविका का विकल्प बना लिया जाये। यद्यपि आप जितने अभ्यर्थी आज इस आलेख को पढ़ रहे हैं जो पहली बाधा पार कर गये हैं क्योंकि अब आपने अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया है। आपको यह एहसास हो गया है कि आप में संघर्ष करने की क्षमता है। और कहते हैं न-

जितना कठिन संघर्ष होगा, जीत उतनी
ही शानदार होगी।।

आइये अब दूसरी अनिश्चित्ता की स्थित की बात करते हैं यह अनिश्चित्ता की स्थिति है वैकल्पिक विषय के चुनाव की है। वैकल्पिक विषय का चुनाव एक ऐसा द्वंद्व है कि अभ्यर्थी साल दर साल मुख्य परीक्षा दे रहे होते हैं, परन्तु अपने वैकल्पिक विषय से संतुष्ट नहीं होते परिणाम स्वरूप उनके प्रयास तथा सफलता के मध्य वैकल्पिक विषय की चुनौती बाधा बनकर खड़ी रहती है और, वैकल्पिक विषय का महत्त्व इतना अधिक है कि सिविल सेवा उत्तीर्ण करने वाला विशेषकर टॉपर्स अभ्यर्थियों के सर्वाधिक अंक वैकल्पिक विषय में पाते हैं। वैकल्पिक विषय को अभ्यर्थियों का सबसे कंफर्ट जोन माना जाता है। जहाँ वह खुलकर खेलता है, हालांकि बहुत से बच्चों की दुविधा ही यह वैकल्पिक विषय होता है। वैकल्पिक विषय का चयन बहुत सावधानी से करना चाहिए क्योंकि यह सफलता के विभिन्न आधार स्तम्भों में सबसे प्रमुख होता है।

वैकल्पिक विषय का चयन कैसे करें

वैकल्पिक विषय का चयन आपके प्रशासकीय विवेक की पहली परीक्षा होती है। यहीं से आपकी प्रशासनिक अभिवृत्ति का परीक्षण भी शुरू होता जाता है जो आपकी प्रशासनिक अभिक्षमता को तय करता है। विचार कीजिए की यदि विशालकाय भीम धनुष को अपना शस्त्र चुनते तथा अर्जुन गदा को तो शायद यह चयन उनकी क्षमता के अनुरूप न होता। इसी प्रकार यदि महान गणितज्ञ रामानुज गणित के स्थान पर राजनीति का रास्ता चुनते तो निश्चित रूप से यह उनकी रूचि के विपरीत होता। इसलिए आपको भी सफलता प्राप्त करने के लिए पूरी सजगता से तत्पर रहना चाहिए। कुछ अभ्यर्थी वैकल्पिक विषय को चुनने में निम्न गलतियाँ करते हैं-

  • अपने सीनियर अभ्यर्थी से पूछते है और उनकी सलाह के अनुरूप वैकल्पिक विषय चुन लेते हैं।
  • कुछ अभ्यर्थी पिछले 2-3 वर्षों का परीक्षा परिणाम देखते हैं, जिस वैकल्पिक विषय से सर्वाधिक बच्चे उत्तीर्ण हो रहे होते हैं वह विकल्प ले लेते हैं।
  • कुछ अभ्यर्थी तैयारी करवाने वाले संस्थानों की बातों में आकर वैकल्पिक विषय का चयन कर लेते हैं।
  • कुछ अभ्यर्थी जिस विषय से स्नातक अथवा स्नातकोत्तर (Master’s Degree) किये होते हैं वही विषय, वैकल्पिक विषय के रूप में ले लेते हैं।

यद्यपि उपर्युक्त चारों ही तरीके वैकल्पिक विषय के चयन में लोकप्रिय हैं, परन्तु प्रथम तीन पूर्णतः अतार्किक और स्वयं को कम आंकने (न्दकमतमेजपउंजम) के समान होता है। क्योंकि यहाँ आप स्वयं से अधिक दूसरों की क्षमता में विश्वास करते हैं जबकि आप स्वयं अपने आप से सर्वाधिक परिचित हैं, भला आपसे ज्यादा भी कोई आपकी क्षमता को जान सकता है।

अब प्रश्न उठता है कि वैकल्पिक विषय के चयन में गलती करने से कैसे बचें अथवा सही विकल्प का चयन कैसे करें-

  • रूचि को पहचान कर- सर्वश्रेष्ठ तरीका है कि अपनी रूचि को पहचान कर, रूचि अनुरूप वैकल्पिक विषय का चयन करें। ऐसा करने से वैकल्पिक विषय पढ़ने में आपको आनंद आयेगा। आपको यह थोपा गया अथवा लाया गया बोझ प्रतीत नहीं होगा। साथ ही इससे आप अपने निर्णय को सही सिद्ध करने के लिए अधिक परिश्रम करेंगे।
  • स्वयं को जांच कर- सामान्यतः अभ्यर्थी 2-3 विषयों में उलझ जाते है कि इनमें से कौन-सा विषय लिया जाये। ऐसी स्थिति में वह विषय चुनना श्रेष्ठकर होता है जिसमें आप तुलनात्मक रूप से ज्यादा सहज (Comfortable) हों। इसके लिए आप अन्तिम रूप से चयनित 2-3 विषयों के पिछले पांच वर्षों के पेपर ले लीजिए जो इंटरनेट पर सुलभ हैं। फिर बारी-बारी सभी प्रश्नपत्रें को देखें और यदि संभव हो तो कम से कम बिन्दुवार उत्तर लिखें। फिर अन्त में यह देखें की किस विषय के प्रश्न-पत्रें को तुलनात्मक रूप से अधिक सहजता से हल कर पाये। जिस विषय के प्रश्न-पत्र को सबसे अच्छे से अटेंपट किया उस विषय को स्वयं की क्षमता पर विश्वास रखते हुए वैकल्पिक विषय के रूप में चुना लीजिए और विश्वास रखिये की आपके द्वारा चुना गया विषय आपकी सफलता की संभावनाओं को बढ़ा देगा। यही नहीं आपका चयन उन हजारों अभ्यर्थियों से बेहतर है जो दूसरों के कहने पर अपना वैकल्पिक विषय चुनते हैं। क्योंकि आपके निर्णय के पीछे आपकी रूचि व क्षमता दोनों कार्य कर रही होती है।
  • स्नातक या स्नातकोत्तर में पढ़े विषय का चयन कब करें- यदि अकादमिक शिक्षा में पढ़े गये विषय में आपकी रूचि है तथा मूलभूत अवधारणायें स्पष्ट हैं तो निःसंकोच वही विषय चुनना श्रेष्ठ निर्णय होगा परन्तु यदि आपने मात्र डिग्री लेने के लिए अकादमिक शिक्षा में कोई विषय पढ़ा है तो ऐसे विषय का भारत की सबसे स्मार्ट परीक्षा में वैकल्पिक विषय के रूप में चयन मूर्खतापूर्ण निर्णय से अधिक नहीं होगा। क्योंकि प्रशासनिक सेवा में पूछे जाने वाले प्रश्नों की गहरायी, तरीके तथा विविधता से अकादमिक परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों से बहुत अधिक अन्तर होता है।

राजनीति विज्ञान और अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों का सामान्य अध्ययन व निबंध से संबंध

राजनीति विज्ञान वैकल्पिक विषय के रूप में चयन करते ही आपको सामान्य अध्ययन के विभिन्न प्रश्न पत्रे में एक स्वाभाविक बढ़त मिल जाती है। हालांकि ऐसा अन्य वैकल्पिक विषयों के साथ भी होता है। इसलिए यह जानना आवश्यक है कि राजनीति विज्ञान, सामान्य अध्ययन के विभिन्न प्रश्न पत्रें में किस प्रकार अपनी भूमिका निभाता है। इसे निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है-

1- सामान्य अध्ययन प्रथम प्रश्न पत्र व राजनीति विज्ञान

  • ब्रिटिश शासन की विरासत, भारतीय राष्ट्रवाद – आधुनिक भारत खण्ड
  • जातिवाद, क्षेत्रवाद, सम्प्रदायवाद, राष्ट्रीय एकीकरण – समाज खण्ड
  • साम्यवाद, पूंजीवाद, समाजवाद, नाजीवाद, फांसीवाद की अवधारणायें – विश्व
    इतिहास

2- सामान्य अध्ययन द्वितीय प्रश्न पत्र व राजनीति विज्ञान

  • दोनों का 90 प्रतिशत समान पाठ्यक्रम, क्योंकि राजनीति विज्ञान और अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों में प्रथम प्रश्नपत्र भारतीय संविधान व राजव्यवस्था से संबंधित है, वहीं द्वितीय प्रश्नपत्र अन्तर्राष्ट्रीय संबंध व विदेश नीति पर आधारित है जबकि सामान्य अध्ययन-।। की भी विषयवस्तु यही है।

3- सामान्य अध्ययन तृतीय प्रश्न पत्र व राजनीति विज्ञान

  • आंतरिक सुरक्षा से सम्बन्धित मुद्दे

4- सामान्य अध्ययन चतुर्थ प्रश्न पत्र व राजनीति विज्ञान

  • पाश्चात् विचारक जैसे- प्लेटो, अरस्तू, सुकरात आदि।
  • भारतीय विचारक- महात्मा गांधी, कौटिल्य, अम्बेडकर आदि।
  • लोकतांत्रिक मूल्य

5- निबंध तथा राजनीति विज्ञान

  • प्रत्येक वर्ष सिविल सेवा में एक निबन्ध भारतीय राज्यव्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध से अवश्य होता है। साथ ही किसी भी निबन्ध को लिखने के लिए राजनीति विज्ञान महत्वपूर्ण दृष्टिकोण और सामग्री उपलब्ध कराता है।

राजनीति विज्ञान और सामान्य अध्ययन: करेंट के मुद्दे

राजनीति विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को अब्रेंला विषय बनाने के साथ-साथ रूचिकर बहुआयामी बनाने में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इसका समसामायिक मुद्दों से जुड़ाव, क्योंकि इसके प्रश्नपत्र-। के ‘भाग-ब’ संविधान और राजव्यवस्था तथा प्रश्नपत्र-।। लगभग पूर्ण रूप से करेंट मुद्दों से जुड़ा हुआ है। आइये संक्षेप में कुछ उदाहरणों से समझते हैं-

  1. मेडिकल डिप्लोमेसी
  2. कोविड-19 के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ विशेषकर इसकी सुरक्षा परिषद की भूमिका।
  • भारत-चीन, भारत-नेपाल, भारत अमेरिका, भारत-रूस आदि द्विपक्षीय,
    बहुपक्षीय तथा संस्थागत संबंध।
  • बहुपक्षवाद
  • कोविड-19 से निपटने की राजनीति।
  • राज्यसभा की भूमिका।
  • दल-बदल कानून।
  • विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका।
  • क्वैड, सार्क, बिम्सटेक, ब्रिस आदि संगठन।
  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना।
  • राजकोषीय परिषद।
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा लोकतंत्र।

इसी के साथ अन्त में ध्येय IAS आपको यही मंत्र देता है कि आप ईमानदारी से अपना सर्वश्रेष्ठ दें क्योंकि ‘‘इंतजार करने वालों को सिर्फ उतना ही मिलता है जितना की मेहनत करने वाले छोड़ देते हैं।’’ आप हारने से मत डरिये, क्योंकि किसी ने सच कहा है कि-

ऑनलाइन कोर्स की विशेषताएं

  • Mode – ऑनलाइन
  • माध्यम- हिन्दी
  • समयावधि – लगभग 5 माह
  • पाठ्यक्रम को व्यापक रूप से 250+ Hours में Live Video Session के
    द्वारा कवर किया जाएगा।
  • प्रत्येक टॉपिक पर डिस्कशन ग्राफिक्स, मैप एवं रेखाचित्र द्वारा अभ्यर्थियों को बेहतर ढंग से समझाना।
  • प्रत्येक टॉपिक पर उच्च स्तरीय एवं अद्यतन पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराना।
  • पूर्ववर्ती वर्षों में आये प्रश्नों एवं सम्भावित प्रश्नों पर चर्चा एवं फ्रेमिंग।
  • प्रत्येक टॉपिक के अंत में क्लास टेस्ट एवं समस्या का निवारण।
  • लोक सेवा आयोग द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों के स्तर के अनुरूप नियमित एवं निःशुल्क टेस्ट लिया जाएगा। जिसका मूल्यांकन विजय वेद सर के निर्देशन में टीम ध्येय आई.ए.एस. (वैकल्पिक विषय इतिहास) द्वारा किया जाएगा।

एडमिशन की प्रक्रिया-

एडमिशन ओपन

नोट- आवश्यकतानुसार अभ्यर्थियों के समक्ष कुछ शर्तों के अधीन यह विकल्प होगा कि वह ऑनलाइन से आपॅफ़लाइन कोर्स में अपना रजिस्ट्रेशन/प्रवेश परिवर्तित कर सके।

  • पंजीकरण फॉर्म भरें
  • दिए गए विकल्पों के माध्यम से ऑनलाइन या ऑफलाइन भुगतान करें

  • दिए गए प्रारूप में
    अपना भुगतान विवरण सबमिट करें

तकनीकी जरूरत-

  • छात्रों को उचित इंटरनेट कनेक्शन के साथ एंड्रॉइड स्मार्ट फोन/टैबलेट होना अनिवार्य है।
  • लाइव और विलंबित कक्षाएं ध्येय IAS के मोबाइल एप्लिकेशन (एंड्रॉइड ऐप) में स्ट्रीम होगी।

कोर्स की फीस (जीएसटी के साथ)::

Total Fee 1st Instalment 2nd Instalment Instalment Duration One Time Payment
Rs. 29,500/- Rs. 15,000/- Rs. 14,500/- In 2 Months Rs. 26,000/-
Bank Name: ICICI Bank
Account Name: Dhyeya Nurture
Account No.: 113005500443
IFSC Code: ICIC0001130